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Sunday, April 21, 2013

कोढ़ी है वोह...

रब के दर पर कोई उसे जाने नहीं देता,

कोढ़ी है वोह...

कुछ रूपया देकर,
रब की इबादत करने वाले,
रब को खुश करना चाहते है,
उसके ज़ख्मों पर कोई मरहम नहीं लगाता 

कोढ़ी है वोह...

रोज़ वोह रब के दर पर बैठा रहता है,
रब उसकी दुआ सुनता नहीं,

मेरे रब्बा,
मेरे मौला,
मेरे खुदा, 
उसकी दुआ सुन ले,
अगर कुछ अच्छे कर्म है मेरे,
तो उन कर्मो का फल तू उसको दे दे,
मेरे रब्बा, 
उसकी दुआ सुन ले,

उसकी दुआ सुन ले...

रोटी के एक टुकड़े के लिए,
उसका, कुत्ते से लड़ाई करना,
मुझसे देखा नहीं जाता,

कोढ़ी है वोह...

उसकी दुआ सुन ले...

रोमिल, कोढ़ी है वोह...

#रोमिल

Saturday, April 20, 2013

Nai dunia, naya jahan basane ja raha hoon main...

nai dunia, naya jahan basane ja raha hoon main
kam se kam tu mujhe talaak to de de
is aakhiri salam ka to haqdaar hoon main...

thik kiya tune mera saath na dekar
jahan milte hai sirf gum aur dard woh bazaar hoon main...

chand ke pehlu mein tadap-tadap ke roti hai kiran
in andheron ka jo waafadar hoon main..

raakh mein aag dabi hai teri mohabbat ki
ki raakh hota hua shola hoon main...

aur

har ishthiti, har parishthiti mein uske saath zindagi jeene ko taiyaar tha main
fir bhi use kabool na tha "Romil",
Jo kabhi kabool na ho saka woh izhaar hoon main...

#Romil

नई दुनिया, नया जहां बसाने जा रहा हूँ मैं
कम से कम तू मुझे तलाक़ तो दे दे
इस आख़िरी सलाम का तो हक़दार हूँ मैं...

ठीक किया तूने मेरा साथ न देकर
जहाँ मिलते है सिर्फ़ ग़म और दर्द वो बाज़ार हूँ मैं...

चाँद के पहलू में तड़प-तड़प के रोती हैं किरन
इन अँधेरों का जो वफ़ादार हूँ मैं...

राख में आग दबी हैं तेरी मुहब्बत की
कि राख़ होता हुआ शोला हूँ मैं...

और

हर स्थिति, हर परिस्थिति में उसके साथ ज़िन्दगी जीने को तैयार था मैं
फिर भी उसे क़बूल ना था रोमिल
जो कभी क़बूल न हो सका वो इज़हार हूँ मैं...

#रोमिल

Friday, April 19, 2013

मुहब्बतों का बीता हुआ पल अच्छा था

मुहब्बतों का बीता हुआ पल अच्छा था
प्यासी धरती पर बूंदों का गिरना अच्छा था...
***
मेरी ज़िन्दगी में पल भर के लिए ही था साथ उसका
फिर भी "गुन" का आना अच्छा था...
***
मैं जानता था "गुन" मेरा साथ कभी नहीं देगी
फिर भी सारी-सारी रात उसके लिए जागना अच्छा था...
***
"नाज़" जैसे फ़रिश्ते का फिर धरती पर आना, मुमकिन न था
फिर भी "रोमिल" उसको पाने की धुन में पागलों सा रोज़ फिरना अच्छा था...

#रोमिल

Thursday, April 18, 2013

गरीब का घर हैं.... इसको उजाड़कर तुमको क्या मिलेगा...

गरीब का घर हैं 
~~~
एक टूटी हुई चारपाई हैं
इसको जलाकर तुमको क्या मिलेगा...
मटका हैं पानी से भरा
इसको तोड़कर तुमको क्या मिलेगा...

गरीब का घर हैं...
इसको उजाड़कर तुमको क्या मिलेगा...
~~~
टूटे-फूटे बर्तन हैं
जो गरीबी की दास्ताँ खुद बयां करते हैं
जिस दिए से रोशन होता था घर अब उसमें तेल नहीं हैं
इसको फोड़कर तुमको क्या मिलेगा...

गरीब का घर हैं....
इसको उजाड़कर तुमको क्या मिलेगा...
~~~
इन बच्चों के पास दो जोड़ी ही कपड़े हैं
वोह भी जले हुए
सरकारी कॉपी-किताबों के पन्ने हैं
वोह भी फटे हुए
इनको राख में मिलाकर तुमको क्या मिलेगा....

गरीब का घर हैं....
इसको उजाड़कर तुमको क्या मिलेगा...
~~~
बरसात में टपकता हैं इस छप्पर से पानी
बूढ़ी आँखें रात भर यह तमाशा देखती रहती हैं...
कोने में पड़ी हैं भगवान की तस्वीर
जो हमारी मजबूरियों पर मुस्कुराती रहती हैं...

भला...इसको मिटाकर तुमको क्या मिलेगा

रोमिल, गरीब का घर हैं....
इसको उजाड़कर तुमको क्या मिलेगा...

#रोमिल

Wednesday, April 17, 2013

बहुत मासूम थे हम भी

बहुत मासूम थे हम भी
किसी के चेहरे को चाँद समझते थे,
किसी की नज़रों को आइना समझते थे,
किसी के होंठों को गुलाब समझते थे,
किसी की झुल्फों को घनी रात समझते थे,
किसी को रब समझते थे,
रोमिल बहुत मासूम थे हम भी...

#रोमिल

Tuesday, April 16, 2013

मेरे खुदा...बुरा मत मानना!

दुआ माँगते-माँगते
अब नींद सी आने लगती हैं...
हाथ उठाते-उठाते
अब अंगड़ाई सी छाने लगती हैं...
मेरे खुदा...बुरा मत मानना!
मेरे खुदा...बुरा मत मानना!
****
क्या करूँ अब तेरी रहमत पर भरोसा नहीं रहा
नमाज़ों पर ऐतबार नहीं रहा 
तुझसे लड़ने-झगड़ने को भी मन नहीं करता
तुझसे रूठ जाने को भी दिल नहीं चाहता
अब इबादतों वाला मौसम नहीं रहा
मेरे खुदा...बुरा मत मानना!
मेरे खुदा...बुरा मत मानना!
****
तेरे दर पर आने से पहले जूता उतारना भूल गया
तेरी बंदगी करते हुए सर ढकना भूल गया
अब हर बात पर तुझे याद करना अच्छा नहीं लगता
क्या कहूं ओमिल कुछ बदल सा गया
मेरे खुदा...बुरा मत मानना!
मेरे खुदा...बुरा मत मानना!

#रोमिल

Sunday, April 14, 2013

अश्क़ देकर मुझको बेक़रार करती हैं...

अश्क़ देकर मुझको बेक़रार करती हैं...
यह यादें तेरी सितम बार-बार करती हैं...
***
पूछ न मुझसे मेरा हाल क्या हैं रोमिल
वोह मिलन की बातें हैरान बार-बार करती हैं...
***
उस पर हँसकर दिल को बहलाता रहता हूँ रोमिल
वरना उसकी मुस्कराहट मुझको परेशां बार-बार करती हैं...
***
मुझसे मिलने का वादा कभी उसने किया ही नहीं रोमिल
न जाने क्यों यह नज़रें इंतज़ार बार-बार करती हैं...

#रोमिल

Saturday, April 13, 2013

मैंने गाँधी (जी) को नहीं मारा...

मैं आज भी गाँधी (जी) के विचारों पर विचार करता हूँ,
उनके बताये हुए ज़िन्दगी के मूल्यों पर चलने की कोशिश करता हूँ,
मैंने गाँधी (जी) को नहीं मारा...

सत्य बोलता हूँ,
अपने मन से ईमानदारी करता हूँ,
अहिंसा पर चलने की कोशिश करता हूँ,
मैंने गाँधी (जी) को नहीं मारा...

दूसरो के दुखों को अपना दुःख समझता हूँ, 
सत्याग्रह पर विश्वास रखता हूँ,
क्रोध कम करने की कोशिश करता हूँ,
मैंने गाँधी (जी) को नहीं मारा...

उनके सिद्धांतों, विचारों, आदर्शो को एक नया रूप देना चाहता हूँ,
मैं गाँधी (जी) को हमेशा जिंदा रखना चाहता हूँ,
रोमिल, मैंने गाँधी (जी) को नहीं मारा...

#रोमिल

मगर कैसे छुपा पाओगे इस खेत का मरना.

भूख से मर रहा हूँ मैं,
और तुम इसे बीमारी का बहाना देते हो.
मगर कैसे छुपा पाओगे इस खेत का मरना.

गरीबी की वजह से खुदखुशी कर रहा है किसान,
और तुम इसे घर का झगड़ा बताते हो.
मगर कैसे छुपा पाओगे इस खेत का मरना.

मेरा मरना तो लोग भूल जायेंगे,
कुछ पल यह समाचार वाले मेरे दुखी हालातों को दिखायेंगे,
फिर किसी ख़ुशी में यह भी खो जायेंगे.
मगर कैसे छुपा पाओगे इस खेत का मरना.

जब लोग तुमसे इस खेत का मरना पूछेंगे,
क्या बताओगे?
क्यों प्यासा है यह?
क्यों इसमें फसलें नहीं खिल रही?
क्यों धरती माँ रो रही?
मेरी मौत तो छुपा पाओगे.
मगर कैसे छुपा पाओगे इस खेत का मरना.

रोमिल, मगर कैसे छुपा पाओगे इस खेत का मरना.

#रोमिल

Thursday, April 11, 2013

भूख

दिन भर धूप में
हल चलाकर
मेहनत से अनाज पैदा करता हैं किसान!
फिर भी भूखा क्यों सोता हैं किसान?
~
भूख से रोता-तड़पता हुआ एक बच्चा और उसकी माँ
घर-घर दो रोटी की भीख मांगते हुए
कोई न उनकी फरियाद सुनने वाला
धिक्कार, अपमान के सिवा वोह कुछ नहीं पाते.

मैंने देखा और बोला 
"रोमिल, सच में कलयुग आ गया हैं"

वोह बोली 

"कलयुग क्या, सतयुग क्या 
राम क्या, रहीम क्या 
सब सुना-सुनी बातें हैं
न मैंने जाना कभी, न देखा कभी
मैं तो बस इतना जानू
यह दुनिया हैं, लाखों लोग धनवान हैं यहाँ
उसमें मेरा बच्चा भूखा हैं
रोटी के लिए तड़पता हैं
मैं एक मजबूर माँ कुछ न कर पाती हूँ"

#रोमिल

रब, कैसे मानूं की तू है....

आपके दरबार के बाहर बैठा हुआ एक मजबूर को मैं देखता हूँ,
जो आपकी पनाह में हमेशा रहता है,
दोनों पैर नहीं है उसके,
फिर भी उसकी हिम्मत देखकर मैं हैरत में रह जाता हूँ…

रोज़ रोटी की लड़ाई वोह करता है ,
एक-एक रूपया के लिए दूसरे के सामने गिड़गिड़ाता है,   
उनके पीछे वोह भागता है,
तुम्हारा वास्ता देता है,
फिर भी वोह कुछ नहीं पाता है,
बे-बस सा चेहरा लेकर फिर तुम्हारे दरबार के बाहर आकर बैठ जाता है.

रब, कैसे मानूं की तू है....

एक माँ, अपनी छाती से लिपटे बच्चे को अपने एक हाथ से पकडे रहती है और
दूसरे हाथों में मांग का कटोरा लिए रहती है,
तेरे दरबार में आये लोगों के सामने खाली कटोरा बढाती है,
भूखे बच्चे का वास्ता देती है,
तुम्हारा वास्ता भी देती है,
लोगों के तिरस्कार के सिवा वोह कुछ नहीं पाती है,
बे-बस सा चेहरा लेकर फिर तुम्हारे दरबार के बाहर आकर खड़ी हो जाती है.

रब, कैसे मानूं की तू है....

एक छोटा सा मासूम सा बच्चा,
बरसातों में, गर्मियों में, सर्दियों में
रोज़ तेरे दरबार के सामने खड़ा रहता है,
आने-जाने वाले सब तेरे बन्दों से मांगता रहता है,
उसके बचपन की मजबूरी किसी को दिखाई नहीं देती है, 
कितना मायूस होकर वोह रह जाता है.

रब, कैसे मानूं की तू है....

तू ही बता रब, कैसे मानूं की तू है...
रब, कैसे मानूं की तू है....

फिर भी मैं विश्वास का दीपक हमेशा जलाता रहता हूँ,
तेरे दरबार में रोज़ सर झुकाता हूँ,
कभी तो तू नज़रे-करम उनपर भी करेगा, 
बस यही दिलासा रोज़ तेरे दरबार से लेकर चला आता हूँ…

रोमिल, तू ही बता, कैसे मानूं की रब है...

#रोमिल

किसी के पास फुर्सत नहीं दो पल ग़म बांटने के लिए यहाँ हर शख्स अपने में जीता है।

एक घर में दीवाली की रोशनी
दूसरे घर में अँधेरा-सन्नाटा पसरा रहता है।

कोई घर खुशियों के साथ तो
कोई ग़म के साथ यहाँ सोता है।

किसी के पास फुर्सत नहीं दो पल ग़म बांटने के लिए
यहाँ हर शख्स अपने में जीता है। 

सड़क पर ना जाने कितने, अपनी बेबसी की कहानी कहते है
दर्द में रोते है,
चीखते है,
चिल्लाते हैं,
मगर यहाँ कोई किसी की आवाज़ नहीं सुनता है।

किसी के पास फुर्सत नहीं दो पल ग़म बांटने के लिए
यहाँ हर शख्स अपने में जीता है। 

भूख से तड़पता रहता है इंसान यहाँ,
शहर के नुक्कड़ पर रोज़ मरता, रोज़ जीता है
बरसात के पानी में सर छुपाये बैठा रहता है,
धूप सहता है,
सर्दी में ठिठुरता रहता है,
मगर यहाँ शहर के शोर में किसी को कोई दर्द सुनाई नहीं देता है। 

रोमिल, किसी के पास फुर्सत नहीं दो पल ग़म बांटने के लिए
यहाँ हर शख्स अपने में जीता है।

#रोमिल

Wednesday, April 10, 2013

अपनी बर्बादी के खुद गुनेहगार है हम

अपनी बर्बादी के खुद गुनेहगार है हम
मुहब्बत जो की थी खुद सज़ादार है हम...
अब किससे कहें हाल-ए-दिल अपना
जिससे जला अपना घर, वोह चिराग है हम।
रोमिल वोह चिराग है हम। 

#रोमिल

Tuesday, April 9, 2013

हवाओं से सुना है, बहुत स्यानी हो गई है वोह।

ज़िन्दगी का हर फैसला खुद कर लेती है वोह,
मुझे अपना नहीं समझती वोह,
मुझसे पूछती भी नहीं वोह।

पहले छोटी-छोटी बातों में, मेरी गोद में आकर रोना चाहती थी वोह,
अब खुद-ब-खुद आंसू पोछ लेती है वोह।

मेरे हर गुस्से पर मुस्कुराकर जवाब देती थी वोह,
अब मेरी छोटी सी बात पर भी खफ़ा हो जाती है वोह।

हर राहों में, मेरा इंतज़ार करती थी वोह,
अब मेरे पास आने से भी कतराती है वोह। 

हमेशा मेरा हाथ पकड़कर, हर राहों में चलना चाहती थी वोह,
अब राहों में मुझे आता देख खुद मुड़ जाती है वोह। 

हर रोज जो मेरा हाल पूछती थी वोह,
अब मुझे ग़म देकर भूल जाती है वोह।

रोमिल, हवाओं से सुना है, बहुत स्यानी हो गई है वोह।

#रोमिल

Monday, April 8, 2013

चुप रहो, आज सिर्फ प्यार करो !

कल फुर्सत न मिली तो क्या करोगी?
चुप रहो, आज सिर्फ प्यार करो !

कल इतनी मुहब्बत न मिली किसी और से तो क्या करोगी?
चुप रहो, आज सिर्फ प्यार करो !

आज जो कहना है निगाहों से कह दो, कल शब्द न मिले तो क्या करोगी?
चुप रहो, आज सिर्फ प्यार करो ! 

आकर सो जाओ इन बाहों में, कल यह बाहें न मिली तो क्या करोगी?
चुप रहो, आज सिर्फ प्यार करो !

कर लेने दो दीदार इन निगाहों से रोमिल, कल अगर हमारी आँख न खुली तो क्या करोगी?
चुप रहो, आज सिर्फ प्यार करो !

#रोमिल

Saturday, April 6, 2013

हैं मुहब्बत वही, मगर नये हैं हमतुम

बिछड़ना होता तो कई बार
न मिले होते हमतुम।
*
ठोकरे खा-खाकर
तो शायद चलना सीखे हैं हमतुम।
*
एक दूसरे की यादों में आँसू तो बहाये हैं कई बार
तभी तो पाक़ हो गए हैं हमतुम।
*
पत्थरों को खुदा बनते हुए देखा हैं कई बार
यार की तस्वीर को खुदा बना बैठे हैं हमतुम।
*
वैसे तो सबने सुनी होगी मुहब्बत की दास्तान कई बार
धूल जम जाने से किताब के पन्ने तो नहीं बदला करते
हैं मुहब्बत वही, मगर नये हैं हमतुम

रोमिल धीरे-धीरे सीख जायेंगे।

#रोमिल

उसका ज़िक्र होते ही आँखों में आँसू आ जाते हैं

उसका ज़िक्र होते ही आँखों में आँसू आ जाते हैं
शाम ढलते ही चेहरे पर दुखों के बादल छा जाते हैं
इतना पत्थर होगा उस बेवफा का दिल रोमिल
जो पाँव ज़रा रख दे फूलों पर तो छाले आ जाते हैं। 

#रोमिल

Thursday, April 4, 2013

Unhi ko dhund rahi hai nigahein meri

Unhi ko dhund rahi hai nigahein meri
Jo baar-baar kehti thi
"Aa Jao"
"Aa Jao" 
"Aa Jao" baahon mein meri.

Nigah neechi kiye, sar jhukaye bethi hogi, kisi nukkad par
Koi to mujhe bata de 
kaun sa hai tera mohalla
kaun si hai teri gali.

aur

Usko yaad kar haseen tasabbur mein kho gaya hoon Romil
Ki jaise lag raha hai woh goad mein soye ho meri.

#Romil

उन्हीं को ढूंढ रही है निगाहें मेरी....
जो बार-बार कहती थी 
"आ जाओ" 
"आ जाओ" 
"आ जाओ" बाहों में मेरी... 

निगाह नीची किए, सर झुकाए बैठी होगी, 
किसी नुक्कड़ पर... 
कोई तो मुझे बता दे
कौन सा है तेरा मोहल्ला 
कौन सी है तेरी गली...

और 

उसको याद कर हसीन तसव्वुर में खो गया हूं रोमिल 
की जैसे लग रहा है वह गोद में सोई हो मेरी...

#रोमिल

आज सोने न देगी मुस्कुराहट बिखेरती हुई तस्वीर उसकी

आज सोने न देगी मुस्कुराहट बिखेरती हुई तस्वीर उसकी
दिल यह पूछता है, क्यों तस्वीर की तरह ही बदल जाती है वफाएं उसकी

कौन सी झील का तिलिस्सिम है उसकी आँखों में
काला जादू करे जुल्फें उसकी।

मेरे प्यार की रौनक दिखे, गोलू-मोलू गालों पे उसकी
रोमिल दिल में प्यास जगी है होंठों के रस की उसकी।

#रोमिल

मुझसे क्या पूछते हो कि क्या लिखे

मुझसे क्या पूछते हो कि क्या लिखे
किसी बेवफा के नाम वफ़ा लिखे।
~
फिर न कोई आशिक, इश्क में मरे
क़लम उठा के दुआ लिखे।
~
हो जाये न रात किसी की सुबह
इंतज़ार न करे कोई यह फरियाद लिखे।
~
दे जाते हैं अपने धोखा इस दुनिया में रोमिल
बेगानों पर विश्वास न करे यह सलाह लिखे।

#रोमिल