Saturday, April 6, 2013

हैं मुहब्बत वही, मगर नये हैं हमतुम

बिछड़ना होता तो कई बार
न मिले होते हमतुम।
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ठोकरे खा-खाकर
तो शायद चलना सीखे हैं हमतुम।
*
एक दूसरे की यादों में आँसू तो बहाये हैं कई बार
तभी तो पाक़ हो गए हैं हमतुम।
*
पत्थरों को खुदा बनते हुए देखा हैं कई बार
यार की तस्वीर को खुदा बना बैठे हैं हमतुम।
*
वैसे तो सबने सुनी होगी मुहब्बत की दास्तान कई बार
धूल जम जाने से किताब के पन्ने तो नहीं बदला करते
हैं मुहब्बत वही, मगर नये हैं हमतुम

रोमिल धीरे-धीरे सीख जायेंगे।

#रोमिल

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