Thursday, April 11, 2013

किसी के पास फुर्सत नहीं दो पल ग़म बांटने के लिए यहाँ हर शख्स अपने में जीता है।

एक घर में दीवाली की रोशनी
दूसरे घर में अँधेरा-सन्नाटा पसरा रहता है।

कोई घर खुशियों के साथ तो
कोई ग़म के साथ यहाँ सोता है।

किसी के पास फुर्सत नहीं दो पल ग़म बांटने के लिए
यहाँ हर शख्स अपने में जीता है। 

सड़क पर ना जाने कितने, अपनी बेबसी की कहानी कहते है
दर्द में रोते है,
चीखते है,
चिल्लाते हैं,
मगर यहाँ कोई किसी की आवाज़ नहीं सुनता है।

किसी के पास फुर्सत नहीं दो पल ग़म बांटने के लिए
यहाँ हर शख्स अपने में जीता है। 

भूख से तड़पता रहता है इंसान यहाँ,
शहर के नुक्कड़ पर रोज़ मरता, रोज़ जीता है
बरसात के पानी में सर छुपाये बैठा रहता है,
धूप सहता है,
सर्दी में ठिठुरता रहता है,
मगर यहाँ शहर के शोर में किसी को कोई दर्द सुनाई नहीं देता है। 

रोमिल, किसी के पास फुर्सत नहीं दो पल ग़म बांटने के लिए
यहाँ हर शख्स अपने में जीता है।

#रोमिल

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