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Tuesday, May 14, 2013

श्रीमद् भागवत गीता - अध्याय ४ - श्लोक ३६


श्रीमद् भागवत गीता 


अध्याय ४  

श्लोक ३६ - यदि तू अन्य सब पापियों से भी अधिक पाप करने वाला है; तो भी तू ज्ञानरूप नौका द्वारा नि:संदेह सम्पूर्ण पाप-समुद्र से भली भाँति तर जायेगा।

Monday, May 13, 2013

श्रीमद् भागवत गीता - अध्याय ५ : श्लोक १०


श्रीमद् भागवत गीता 


अध्याय ५

श्लोक १० - जो पुरुष सब कर्मो को परमात्मा में अर्पण करके और आसक्ति को त्यागकर कर्म करता है, वह पुरुष जल से कमल के पत्ते की भाँति पाप से लिप्त नहीं होता।