गरीब का घर हैं
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एक टूटी हुई चारपाई हैं
इसको जलाकर तुमको क्या मिलेगा...
मटका हैं पानी से भरा
इसको तोड़कर तुमको क्या मिलेगा...
गरीब का घर हैं...
इसको उजाड़कर तुमको क्या मिलेगा...
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टूटे-फूटे बर्तन हैं
जो गरीबी की दास्ताँ खुद बयां करते हैं
जिस दिए से रोशन होता था घर अब उसमें तेल नहीं हैं
इसको फोड़कर तुमको क्या मिलेगा...
गरीब का घर हैं....
इसको उजाड़कर तुमको क्या मिलेगा...
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इन बच्चों के पास दो जोड़ी ही कपड़े हैं
वोह भी जले हुए
सरकारी कॉपी-किताबों के पन्ने हैं
वोह भी फटे हुए
इनको राख में मिलाकर तुमको क्या मिलेगा....
गरीब का घर हैं....
इसको उजाड़कर तुमको क्या मिलेगा...
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बरसात में टपकता हैं इस छप्पर से पानी
बूढ़ी आँखें रात भर यह तमाशा देखती रहती हैं...
कोने में पड़ी हैं भगवान की तस्वीर
जो हमारी मजबूरियों पर मुस्कुराती रहती हैं...
भला...इसको मिटाकर तुमको क्या मिलेगा
रोमिल, गरीब का घर हैं....
इसको उजाड़कर तुमको क्या मिलेगा...
#रोमिल
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