दुआ माँगते-माँगते
अब नींद सी आने लगती हैं...
हाथ उठाते-उठाते
अब अंगड़ाई सी छाने लगती हैं...
मेरे खुदा...बुरा मत मानना!
मेरे खुदा...बुरा मत मानना!
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क्या करूँ अब तेरी रहमत पर भरोसा नहीं रहा
नमाज़ों पर ऐतबार नहीं रहा
तुझसे लड़ने-झगड़ने को भी मन नहीं करता
तुझसे रूठ जाने को भी दिल नहीं चाहता
अब इबादतों वाला मौसम नहीं रहा
मेरे खुदा...बुरा मत मानना!
मेरे खुदा...बुरा मत मानना!
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तेरे दर पर आने से पहले जूता उतारना भूल गया
तेरी बंदगी करते हुए सर ढकना भूल गया
अब हर बात पर तुझे याद करना अच्छा नहीं लगता
क्या कहूं ओमिल कुछ बदल सा गया
मेरे खुदा...बुरा मत मानना!
मेरे खुदा...बुरा मत मानना!
#रोमिल
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