Kehta hoon kahi jaat hoon, kehat bajaye dhol
Swas khali jaat hai, teen lok ka mol.
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंधे मोहे |
एक दिन ऐसा आयेगा, में रोंधुगी तोहे ||
कबीरा गर्व ना कीजिये, ऊंचा देख आवास |
काल पड़ो भू लेटना, ऊपर जमसी घास ||
दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे ना कोय |
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख कहे को होय ||
दास कहावन कठिन है, में दासन का दास |
अब तो ऐसा होए रहू, पाँव तले की घास ||
सतगुरु मिला तो सब मिले, ना तो मिला न कोय |
मात पिता सूत बान्धवा, यह तो घर घर होय ||
आज कहे हरी कल भजुंगा, काल कहे फिर काल |
आज कालके करत ही, अवसर जासी चाल ||
करता रहा सो क्यों रहा, अब करी क्यों पछताए |
बोये पेड़ बबूल का, अमुआ कहा से पाए ||
श्रम से ही सब कुछ होत है, बिन श्रम मिले कुछ नाही |
सीधे ऊँगली घी जमो, कबसू निकसे नाही ||
मन उन्मना न तोलिये, शब्द के मोल न तोल |
मुर्ख लोग न जान्सी, आपा खोया बोल ||
जिस मरने से जग डरे, मेरे मन में आनंद |
कब मरू कब पाऊ, पूरण परमानन्द ||
नींद निशानी मौत की, ऊठ कबीरा जाग |
और रसायन छोड़ के, नाम रसायन लाग ||
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय ।
हीरा जन्म अमोल था, कोड़ी बदले जाय ॥
माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर ।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥
Kabir Bulbula Pani Da , Ki Teri Aukaat...
Jis Ghar Ch Moujan Maania , Rehan Na Dinde Raat.
Menu hai aas Teri
Tu asra hai mera
teri yad wich beete Har Sham te Savera.