Yeh Agra shehar ki tedi-medi si galliya
kabhi jaani pehchani si lagti hai
kabhi anjaani si lagti hai...
kabhi mujhse mera rista puchati hai
kabhi mujhe yahi ka batati hai...
kabhi mere ateet mein jhakati hai
kabhi mujhe vartaman se rubaru karwati hai
kabhi in gude hue gummadon mein nayan mera naam dhundhate hai
kabhi in chabutaron se apne nayan chupate hai.
Yeh Agra shehar ki tedi-medi si galiya...
#Romil
यह आगरा शहर की टेढ़ी-मेढ़ी सी गलियाँ...
कभी जानी-पहचानी सी लगती है
कभी अनजानी सी लगती हैं...
कभी मुझसे मेरा रिश्ता पूछती हैं
कभी मुझे यही का बताती है...
कभी मेरे अतीत में झाँकती हैं
कभी मुझे वर्तमान से रूबरू करवाती हैं
कभी इन गुदे हुए गुम्मादों में नयन मेरा नाम ढूंढते हैं
कभी इन चबूतरों से अपने नयन छुपाते हैं...
यह आगरा शहर की टेढ़ी-मेढ़ी सी गलियाँ...
#रोमिल
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