Thursday, March 21, 2013

यह न समझो मुस्कुरा रहा हूँ मैं

यह न समझो मुस्कुरा रहा हूँ मैं
बस अपना गम छुपा रहा हूँ।
*
दो पल की ज़िन्दगी है कट जाने दो इसे
तेरे-मेरे किस्से-कहानियों के महल सजा रहा हूँ मैं।
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किसको परवाह है
कब दिन होगा
कब रात होगी
चिरागों में अपनी सुबह-शाम बीता रहा हूँ मैं। 
*
बस तुमसे इतना कहना है
तुम हमेशा सफ़र में रहना
लहरों के साथ, लहराते रहना
इंतज़ार में तेरे बीच-रास्ते पर ज़िन्दगी बीता रहा हूँ मैं। 
*
यह न समझो रोमिल मुस्कुरा रहा हूँ मैं

#रोमिल

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