ग़र खफा हो मुझसे तो आज दिल खोलकर बोल क्यों नहीं देते
मौसम है होली का, मज़ा क्यों नहीं लेते
चारों तरफ फैले हुए है अबीर-गुलाल के नज़ारे
तुम भी
तुम भी मुझे थोड़े से, गुलाल से, रंग क्यों नहीं देते
देखो तो ज़रा झाँक के बाहर
देखो तो ज़रा अपने कमरे की खिड़की से झाँक के बाहर
माहौल बन गया है मस्ती-मदहोशी का
पीकर ठंडई, खाकर गुजिया
हुडदंग का मज़ा क्यों नहीं लेते
मौसम है होली का, मज़ा क्यों नहीं लेते
#रोमिल
==================================
और
माँ की तस्वीर को गुलाल लगा कर रोये
रब को खरी-खोटी सुना के रोये
हैरत तो इस बात की है रोमिल
आज हम दुआ पढ़ते हुए रोये।
मौसम है होली का, मज़ा क्यों नहीं लेते
चारों तरफ फैले हुए है अबीर-गुलाल के नज़ारे
तुम भी
तुम भी मुझे थोड़े से, गुलाल से, रंग क्यों नहीं देते
देखो तो ज़रा झाँक के बाहर
देखो तो ज़रा अपने कमरे की खिड़की से झाँक के बाहर
माहौल बन गया है मस्ती-मदहोशी का
पीकर ठंडई, खाकर गुजिया
हुडदंग का मज़ा क्यों नहीं लेते
मौसम है होली का, मज़ा क्यों नहीं लेते
#रोमिल
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और
माँ की तस्वीर को गुलाल लगा कर रोये
रब को खरी-खोटी सुना के रोये
हैरत तो इस बात की है रोमिल
आज हम दुआ पढ़ते हुए रोये।
#रोमिल
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