Sunday, February 10, 2013

मुश्किल समय में दिया सहारा बहुत है

मुश्किल समय में दिया सहारा बहुत है
माँ के मुझ पर क़र्ज़ बहुत है।

ये खुदा अभी ज़िन्दगी को कैसे कह दूं अलविदा
मुझ पर फ़र्ज़ बहुत है।

जी तो चाहता है था उनका भी मुस्कुराने, गुनगुनाने का
मगर कोख़ में मरे जीवन बहुत है।
 
और
ज़िन्दगी भर जो पिता, बच्चों से मांगता रहा प्यार की भीख
आज दौलत से सजी उसकी अर्थी के खरीददार बहुत है।

और
बस आँखों को छलका के कहाँ तुम्हारे गुनाह कम होंगे
तुम पर मेरी बर्बादी के इल्ज़ाम बहुत है।


#रोमिल

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