Saturday, November 24, 2012

Kya Kahiye...

Chand fir gul-e-gulzar hai kya kahiye
Sitare mohabbat mein giraftar hai kya kahiye.

Fir wahi chandani raat hai kya kahiye
Aankhon mein yaar-e-intezaar hai kya kahiye.

Dua be-asar hai kya kahiye
Zameen-Aasman ka antar hai kya kahiye.

Aur Beet rahi hai tanha raatein kya kahiye
Usko pukar raha hai mera pyar, kya kahiye.

#Romil


चाँद फिर गुल-ए-गुलज़ार है क्या कहिये
सितारे मोहब्बत में गिरफ्तार है क्या कहिये

फिर वही चांदनी रात है क्या कहिये
आँखों में यार-ए-इंतज़ार है क्या कहिये

दुआ बे-असर है क्या कहिये
ज़मीन-आसमान का अंतर है क्या कहिये

और बीत रही है तन्हा रातें क्या कहिये
उसको पुकार रहा है मेरा प्यार, क्या कहिये।

#रोमिल

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