Monday, May 6, 2013

बहुत आरज़ू थी की उसकी डायरी मुझको मिल जाये

"बहुत आरज़ू थी की उसकी डायरी मुझको मिल जाये
जो सपने थे उन पन्नों में 
वोह सब मेरे हो जाये 
वो ही तो मेरी गीता थी
वो ही तो मेरी क़ुरान थी
उसकी सिद्दत में यह सर झुक जाये...
रोमिल, बहुत आरज़ू थी की उसकी डायरी मुझको मिल जाये"
~*~
"जाते-जाते इस दुनिया से एक एहसान मेरे लिए कर जाना
रोमिल, अपनी कब्र को नाम मेरे कर जाना"

#रोमिल

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