माँ कहती थी
मुहब्बत में पैसों के लिए कोई जगह नहीं होती
तोहफा गर महंगा हो तो ज्यादातर देने वाले की नियत ठीक नहीं होती।
गर रब न मिले जन्नत में
तो सत्संगी को जन्नत की आरज़ू भी नहीं होती।
मारा होता इस नालायक को माँ ने बचपन में जो जोरदार थप्पड़
तो आज इसकी आस्तीने बूढ़े बाप पर चढी नहीं होती।
बड़े गुरुर से जलाते थे जो अपनी हवेलीओं में रोशनी
आज उनकी कब्र पर एक दिया बाती जलती हुई नहीं होती।
बेटा जी, भीगी-भीगी आँखों से यह आंसू न गिरने पाए
इल्तिज़ा है मेरी,
ऐसी तकलीफ तेरी मुझे गवारा नहीं होती।
मुहब्बत में पैसों के लिए कोई जगह नहीं होती
तोहफा गर महंगा हो तो ज्यादातर देने वाले की नियत ठीक नहीं होती।
गर रब न मिले जन्नत में
तो सत्संगी को जन्नत की आरज़ू भी नहीं होती।
मारा होता इस नालायक को माँ ने बचपन में जो जोरदार थप्पड़
तो आज इसकी आस्तीने बूढ़े बाप पर चढी नहीं होती।
बड़े गुरुर से जलाते थे जो अपनी हवेलीओं में रोशनी
आज उनकी कब्र पर एक दिया बाती जलती हुई नहीं होती।
बेटा जी, भीगी-भीगी आँखों से यह आंसू न गिरने पाए
इल्तिज़ा है मेरी,
ऐसी तकलीफ तेरी मुझे गवारा नहीं होती।
#रोमिल
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