Sunday, March 24, 2013

बहुत विश्वास था मुझे मुहब्बत पर अपनी

बहुत विश्वास था मुझे मुहब्बत पर अपनी
पर हम पानी की बूँद के लिए तरसे सागर के होते।
~*~
माँझी के बिना भी किनारा पा जाती है कश्तियाँ
डूबी हमारी कश्ती, माँझी के होते।
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पहले क्या कर पाया था सनम के साथ होते
अब क्या कर पायूँगा अकेले होते।
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लोगों को अक्सर देखा, अपनों के लिए रोते
मगर हम रोमिल, रोये ता-उम्र अपनों के होत। 

#रोमिल

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