हमने मोहब्बत करके क्या पाया
दिल जलता रहा, धुआँ उठता रहा।
*
लोग तो समझते रहे हमको राख का पुतला
मगर दिल से मोहब्बत का बुलबुला उठता रहा।
*
ज़माने में देखे कई हसीन चेहरे
मगर तेरे दीदार का इंतज़ार करता रहा।
*
आते गए मौसम बहारों के तमाम
मैं तेरी यादों के फूल, किताबों में रखता रहा।
*
मिले हजारों मुझको राह-ए-इश्क दिखाने वाले
रोमिल, मैं सबको खुदा हाफ़िज़ करता रहा।
#रोमिल
दिल जलता रहा, धुआँ उठता रहा।
*
लोग तो समझते रहे हमको राख का पुतला
मगर दिल से मोहब्बत का बुलबुला उठता रहा।
*
ज़माने में देखे कई हसीन चेहरे
मगर तेरे दीदार का इंतज़ार करता रहा।
*
आते गए मौसम बहारों के तमाम
मैं तेरी यादों के फूल, किताबों में रखता रहा।
*
मिले हजारों मुझको राह-ए-इश्क दिखाने वाले
रोमिल, मैं सबको खुदा हाफ़िज़ करता रहा।
#रोमिल
No comments:
Post a Comment